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बेटी बचाओ "ब्रेक-अप, बेटी और समाज" व्यथा- दिल टू

बेटी बचाओ   "ब्रेक-अप, बेटी और समाज"
व्यथा-
दिल टूट गया तो रोता है, लड़कियों को कोसता है
उनको गाली, बद-दुआएं देता है और खुद को चोट पहुंचाता है
सपने सारे टूटते देखता है बहते आँशु रोक नहीं पाता है
उसकी याद में जीता-मरता है पैक पे पैक लगाता है
भूलने की कोशिश करता है, लेकिन भूल नहीं पाता है।।-2 
व्यंग---
यह गलती उनकी नहीं हमारी है, इसमें पूर्वजो की नादानी है
लड़की की जनसंख्या में कमी है क्योंकि बेवकूफ़ी हमारी, पुरानी है
लड़कियों की कमी ना होती तो लड़के कभी अकेले ना होते
लड़कियां भरपूर होती तो दहेज की जरूरत ना पड़ती
शहनाई हर किसी के लिए बजता , कोई कुँवारा नहीं मरता।।-2
व्यथा--
एक भाई दिल टूटने का गम झेल रहा है, दूसरा दिल जुड़ने का उत्सव मना रहा है
एक पैक पे पैक लगाए जा रहा है, दूसरा पार्टी पे पार्टी दिए जा रहा है
एक गम रूपी सागर में डूबे जा रहा है, दूसरा प्यार के तंरग-पट्टी पर मजे ले रहा है
ब्रेकअप-हूकअप के चक्कर में जिंदगी उलझाए जा रहा है
समाज की रूढ़िवादी परम्पराओं के दल-दल में फंसे जा रहा है, फंसे जा रहा है।।-2
व्यंग---
कमबख्त इन नादान भारतीयों को कौन समझाए, बेटियाँ जन्म लेंगी तभी तो रहेंगी,बढ़ेंगी,पढ़ेंगी
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का नारा सिर्फ मत लगाओ, इसे साकार कर रूढ़िवादी परम्पराओं को लताड़ भगाओ
घर-परिवार,समाज, देश सब का भला हो जाएगा, किसी का बेटा किसी के याद से बच जाएगा
ना ब्रेकअप का डर ना हीं पैचअप की चिन्ता होगी, एक जाएगी दूसरी आएगी सिलसिला यूँ हीं जारी रहेगी,
सिलसिला यूँ हीं जारी रहेगी, सिलसिला यूँ हीं जारी रहेगी ।

Shashi N Ahishu बेटी, समाज और ब्रेकअप
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#बेटीसमाजऔरब्रेकअप
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#breakup
#betisamajaurbreakup Sadanand Mandal Bharti Kumari Preeti Shah Bijay Dutta Divya Joshi
बेटी बचाओ   "ब्रेक-अप, बेटी और समाज"
व्यथा-
दिल टूट गया तो रोता है, लड़कियों को कोसता है
उनको गाली, बद-दुआएं देता है और खुद को चोट पहुंचाता है
सपने सारे टूटते देखता है बहते आँशु रोक नहीं पाता है
उसकी याद में जीता-मरता है पैक पे पैक लगाता है
भूलने की कोशिश करता है, लेकिन भूल नहीं पाता है।।-2 
व्यंग---
यह गलती उनकी नहीं हमारी है, इसमें पूर्वजो की नादानी है
लड़की की जनसंख्या में कमी है क्योंकि बेवकूफ़ी हमारी, पुरानी है
लड़कियों की कमी ना होती तो लड़के कभी अकेले ना होते
लड़कियां भरपूर होती तो दहेज की जरूरत ना पड़ती
शहनाई हर किसी के लिए बजता , कोई कुँवारा नहीं मरता।।-2
व्यथा--
एक भाई दिल टूटने का गम झेल रहा है, दूसरा दिल जुड़ने का उत्सव मना रहा है
एक पैक पे पैक लगाए जा रहा है, दूसरा पार्टी पे पार्टी दिए जा रहा है
एक गम रूपी सागर में डूबे जा रहा है, दूसरा प्यार के तंरग-पट्टी पर मजे ले रहा है
ब्रेकअप-हूकअप के चक्कर में जिंदगी उलझाए जा रहा है
समाज की रूढ़िवादी परम्पराओं के दल-दल में फंसे जा रहा है, फंसे जा रहा है।।-2
व्यंग---
कमबख्त इन नादान भारतीयों को कौन समझाए, बेटियाँ जन्म लेंगी तभी तो रहेंगी,बढ़ेंगी,पढ़ेंगी
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का नारा सिर्फ मत लगाओ, इसे साकार कर रूढ़िवादी परम्पराओं को लताड़ भगाओ
घर-परिवार,समाज, देश सब का भला हो जाएगा, किसी का बेटा किसी के याद से बच जाएगा
ना ब्रेकअप का डर ना हीं पैचअप की चिन्ता होगी, एक जाएगी दूसरी आएगी सिलसिला यूँ हीं जारी रहेगी,
सिलसिला यूँ हीं जारी रहेगी, सिलसिला यूँ हीं जारी रहेगी ।

Shashi N Ahishu बेटी, समाज और ब्रेकअप
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