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यार कॉमरेड, यादों के समंदर में जब भी गोता लगाता हू

यार कॉमरेड,
यादों के समंदर में जब भी गोता लगाता हूं तो तुमसे जुड़ा कोई न कोई वाकया सामने आ ही जाता है।आज अचानक से फिजिक्स की ट्यूशन का वो दिन याद आ गया जब तुम न्यूटन के नियमो को बड़बड़ाते हुए अचानक मुझसे टकराई थीं।"देख कर नहीं चल सकते?"  का ताना भी तुमने ही कसा था ।मुझे नहीं पता उस दिन तुमसे टकराना मेरी गलती थीं या नहीं।लेकिन हां इतना जरूर जानता हूं कि कुछ गलतियां बड़ी सही होती है। पूरी क्लास में, मैं सिर्फ तुम्हारे बारे में सोचता था।जैसे शायद न्यूटन ने सेब के बारे में सोचा होगा ।यार हम भी कितने अजीब होते हैं कभी कभी सालों के पल भर में बीतने की दुआ करते हैं तो कभी कभी पल भर के साल में तब्दील होने में।उस रोज वहीं दिन था।कॉलेज की फेयर वेल थीं उस रोज।लेकिन मेरे साथ ना ही कुछ फेयर हो रहा था ना ही वेल।लाल साडी में तुम न्यूटन के सेव सी लग रही थीं। मैं सोच रहा था कि काश तुम मेरे सिर पर गिरती।स्टेज पर जब तुमने रूंदे गले से"कल कॉलेज बंद हो जाएगा " वाला गाना गाया था।उस दिन मुझे समझ नहीं आया था कि तुम्हारे दिल में भी वही प्रतिक्रिया थी जो मेरे दिल में तुम्हारे लिए थीं।काश पढ़ लिया होता मैंने न्यूटन के तीसरे नियम को।आज जब तुम्हारी सहेली ने सब बताया तो आंखे भर आयीं।मेरे ह्रदय के भावों ने मिलकर मेरे आंसुओं की श्यानता को बड़ा दिया ।मुझे नहीं पता तुम मुझसे कितनी प्रकाश वर्ष दूर हो ।लेकिन हां एक दिन जरूर हम किसी ब्लैकहोल में साथ मिलेंगे ये उम्मीद है।
तुम ही तो कहती थी कि यार " कुछ  लोग बर्बाद होकर भी आबाद हो जाते हैं।"
....#जलज कुमार

©JALAJ KUMAR RATHOUR यार कॉमरेड,
यादों के समंदर में जब भी गोता लगाता हूं तो तुमसे जुड़ा कोई न कोई वाकया सामने आ ही जाता है।आज अचानक से फिजिक्स की ट्यूशन का वो दिन याद आ गया जब तुम न्यूटन के नियमो को बड़बड़ाते हुए अचानक मुझसे टकराई थीं।"देख कर नहीं चल सकते?"  का ताना भी तुमने ही कसा था ।मुझे नहीं पता उस दिन तुमसे टकराना मेरी गलती थीं या नहीं।लेकिन हां इतना जरूर जानता हूं कि कुछ गलतियां बड़ी सही होती है। पूरी क्लास में, मैं सिर्फ तुम्हारे बारे में सोचता था।जैसे शायद न्यूटन ने सेब के बारे में सोचा होगा ।यार हम भी कितने अजीब होते हैं कभी कभी सालों के पल भर में बीतने की दुआ करते हैं तो कभी कभी पल भर के साल में तब्दील होने में।उस रोज वहीं दिन था।कॉलेज की फेयर वेल थीं उस रोज।लेकिन मेरे साथ ना ही कुछ फेयर हो रहा था ना ही वेल।लाल साडी में तुम न्यूटन के सेव सी लग रही थीं। मैं सोच रहा था कि काश तुम मेरे सिर पर गिरती।स्टेज पर जब तुमने रूंदे गले से"कल कॉलेज बंद हो जाएगा " वाला गाना गाया था।उस दिन मुझे समझ नहीं आया था कि तुम्हारे दिल में भी वही प्रतिक्रिया थी जो मेरे दिल में तुम्हारे लिए थीं।काश पढ़ लिया होता मैंने न्यूटन के तीसरे नियम को।आज जब तुम्हारी सहेली ने सब बताया तो आंखे भर आयीं।मेरे ह्रदय के भावों ने मिलकर मेरे आंसुओं की श्यानता को बड़ा दिया ।मुझे नहीं पता तुम मुझसे कितनी प्रकाश वर्ष दूर हो ।लेकिन हां एक दिन जरूर हम किसी ब्लैकहोल में साथ मिलेंगे ये उम्मीद है।
तुम ही तो कहती थी कि यार " कुछ  लोग बर्बाद होकर भी आबाद हो जाते हैं।"
....#जलज कुमार
यार कॉमरेड,
यादों के समंदर में जब भी गोता लगाता हूं तो तुमसे जुड़ा कोई न कोई वाकया सामने आ ही जाता है।आज अचानक से फिजिक्स की ट्यूशन का वो दिन याद आ गया जब तुम न्यूटन के नियमो को बड़बड़ाते हुए अचानक मुझसे टकराई थीं।"देख कर नहीं चल सकते?"  का ताना भी तुमने ही कसा था ।मुझे नहीं पता उस दिन तुमसे टकराना मेरी गलती थीं या नहीं।लेकिन हां इतना जरूर जानता हूं कि कुछ गलतियां बड़ी सही होती है। पूरी क्लास में, मैं सिर्फ तुम्हारे बारे में सोचता था।जैसे शायद न्यूटन ने सेब के बारे में सोचा होगा ।यार हम भी कितने अजीब होते हैं कभी कभी सालों के पल भर में बीतने की दुआ करते हैं तो कभी कभी पल भर के साल में तब्दील होने में।उस रोज वहीं दिन था।कॉलेज की फेयर वेल थीं उस रोज।लेकिन मेरे साथ ना ही कुछ फेयर हो रहा था ना ही वेल।लाल साडी में तुम न्यूटन के सेव सी लग रही थीं। मैं सोच रहा था कि काश तुम मेरे सिर पर गिरती।स्टेज पर जब तुमने रूंदे गले से"कल कॉलेज बंद हो जाएगा " वाला गाना गाया था।उस दिन मुझे समझ नहीं आया था कि तुम्हारे दिल में भी वही प्रतिक्रिया थी जो मेरे दिल में तुम्हारे लिए थीं।काश पढ़ लिया होता मैंने न्यूटन के तीसरे नियम को।आज जब तुम्हारी सहेली ने सब बताया तो आंखे भर आयीं।मेरे ह्रदय के भावों ने मिलकर मेरे आंसुओं की श्यानता को बड़ा दिया ।मुझे नहीं पता तुम मुझसे कितनी प्रकाश वर्ष दूर हो ।लेकिन हां एक दिन जरूर हम किसी ब्लैकहोल में साथ मिलेंगे ये उम्मीद है।
तुम ही तो कहती थी कि यार " कुछ  लोग बर्बाद होकर भी आबाद हो जाते हैं।"
....#जलज कुमार

©JALAJ KUMAR RATHOUR यार कॉमरेड,
यादों के समंदर में जब भी गोता लगाता हूं तो तुमसे जुड़ा कोई न कोई वाकया सामने आ ही जाता है।आज अचानक से फिजिक्स की ट्यूशन का वो दिन याद आ गया जब तुम न्यूटन के नियमो को बड़बड़ाते हुए अचानक मुझसे टकराई थीं।"देख कर नहीं चल सकते?"  का ताना भी तुमने ही कसा था ।मुझे नहीं पता उस दिन तुमसे टकराना मेरी गलती थीं या नहीं।लेकिन हां इतना जरूर जानता हूं कि कुछ गलतियां बड़ी सही होती है। पूरी क्लास में, मैं सिर्फ तुम्हारे बारे में सोचता था।जैसे शायद न्यूटन ने सेब के बारे में सोचा होगा ।यार हम भी कितने अजीब होते हैं कभी कभी सालों के पल भर में बीतने की दुआ करते हैं तो कभी कभी पल भर के साल में तब्दील होने में।उस रोज वहीं दिन था।कॉलेज की फेयर वेल थीं उस रोज।लेकिन मेरे साथ ना ही कुछ फेयर हो रहा था ना ही वेल।लाल साडी में तुम न्यूटन के सेव सी लग रही थीं। मैं सोच रहा था कि काश तुम मेरे सिर पर गिरती।स्टेज पर जब तुमने रूंदे गले से"कल कॉलेज बंद हो जाएगा " वाला गाना गाया था।उस दिन मुझे समझ नहीं आया था कि तुम्हारे दिल में भी वही प्रतिक्रिया थी जो मेरे दिल में तुम्हारे लिए थीं।काश पढ़ लिया होता मैंने न्यूटन के तीसरे नियम को।आज जब तुम्हारी सहेली ने सब बताया तो आंखे भर आयीं।मेरे ह्रदय के भावों ने मिलकर मेरे आंसुओं की श्यानता को बड़ा दिया ।मुझे नहीं पता तुम मुझसे कितनी प्रकाश वर्ष दूर हो ।लेकिन हां एक दिन जरूर हम किसी ब्लैकहोल में साथ मिलेंगे ये उम्मीद है।
तुम ही तो कहती थी कि यार " कुछ  लोग बर्बाद होकर भी आबाद हो जाते हैं।"
....#जलज कुमार