अन्त: मन जग में ऐसा कहीं भी कोई संयोग नहीं है जिसका कभी भी कोई वियोग नहीं हो। जग में ऐसा कोई भी सुख भोग नहीं है। जिसके पीछे कभी कोई भी रोग नहीं हो। सफल है उसी इंसान का जीवन यहां पर। जो रहता है नश्वर जग में त्यागी बन कर। जिसने जीत लिया है अपना अन्त: मन। बस दुनियां में संतोष ही हो जिसका धन। पाकर धन भी जो परम दानी बन जाते हैं। जो बिना अभिमान के ही जीवन बिताते हैं। ऐसा व्यक्ति वस्तुओं का दास नहीं होता। उसमें दोष व दुर्व्यसन का वास नहीं होता। आत्मविश्लेषण से जानते स्व-क्षमताओं को, स्वार्थ से हटकर परमार्थ की राह अपनाते। अन्त:मन की बात मान आत्मसंतुष्टि पाते, जीत का परचम लहरा दुनियां को दिखाते। उनकी स्वचेतना व विचार जागृत हो जाते। अन्त: मन के मंथन से जीवन धन्य बनाते। -"Ek Soch" #कोराकागज #Collabwithकोराकागज #कोराकागजमहाप्रतियोगिता #yqbaba #yqdidi