सरपरस्त ऐ आसमां तेरे वजूद से मेरी ज़मीं मुझे अक्सर बहुत फैली लगी कल कभी ऐसा जो हो कि तू न रहे सरपरस्त मेरा तो ये ज़मीं और कहानी मेरी बस अफ़साना सी रह जाएँगी मुझे ज़मीं होने को चाहिए एक आसमां तू ही बता तेरे सिवा सर उठा देखूँ किसे, मैं देखूँ कहाँ ? #wingsofpoetry #सरपरस्त