कश्ती-ए-ज़िन्दगी को किनारा चाहिए मुझे नाख़ुदा तेरा सहारा चाहिए ग़मो की आदत हो गई है मुझे यहाँ मुझे ए ख़ुदा ग़म दोबारा चाहिए पस-ए-मंज़र हयात का सूना सूना है मुझे देखने को गूलों का नज़ारा चाहिए रूठा है यार मेरा मुझ से बहुत फ़िर से मुझको इश्क़ आवारा चाहिए शनावर हूँ मैं गहरे दरिया में उतर जाऊँगा 'सफ़र' को ज़ीस्त तेरा सहारा चाहिए नाख़ुदा- नाव चलाने वाला व्यक्ति शनावर- swimer 🌝प्रतियोगिता-218🌝 👍🏻चित्र प्रतियोगिता - 27👍🏻 ✨✨आज की चित्र प्रतियोगिता के अंतर्गत आपको चित्र को ध्यान में रखते हुए लिखना है I ध्यान रहे कि शब्दों की सीमा इस चित्रपट पर ही जो अंकित हो सके उतनी रहे I ✨✨