कलम 'क'सक मन में रहती है जो, 'ल'फ्ज़ बोल नहीं पाते हैं! 'म'यकश नज़रों के जाम, साकी यहाँ तोल नहीं पाते हैं! तब संगदिल कोई शायर, अपना बेदर्द सा काम कर जाता है! हाल-ए-दुनिया बताकर, 'कलम' से काम तमाम कर जाता है! किस्से कलम के! कई हैं यहाँ! #smriti_mukht_iiha #nojotohindi