काँच सा दिल कांच सा दिल तो ज़रुर है मगर मैं कमजोर तो नही हूं क्या हुआ वो कहता है तो कहने दो,मैं मुंहजोर तो नही हूं आओ बैठो संग मेरे मेरी तन्हाई में ,मुझे महसूस करो मैं सुकून हूं दिल का, कानो का कोई शोर तो नही हूं क्यूं तुम्हे लगता है वक्त नही है पास मेरे तुम्हारे लिये देखो मुझे मिट्टी का ही आदमी हूँ कोई और तो नही हूं वो आमादा है तो होने दो ,मेरा वुजूद मिटाने के लिये मुझे यकीं है मेरे रब पर, मैं गुनाहखोर तो नही हूं कांच सा दिल है तो ज़रुर है मगर मैं कमजोर तो नही हूं आमिल Kaanch sa dil zaroor h magar m kamzoor to nhi hu Kya hua wo kehta h to kehne do,m muhzoor to nhi hu Aao baitho sang mere meri tanhai m ,mujhe mehsoos kro M sukoon hu dil ka ,kaano ka shoor to nhi hu Kyu tumhe lagta h waqt nhi h mere paas tumhaare liye Dekho mujhe mitti ka hi aadmi hu koi oor to nhi hu