White कहीं खोया जा रहा हूं अपनों में अपनापन नहीं रहा बारिशों का कोई मौसम नहीं रहा मौसमी दर्द ने समा बांध ली है आकाश भी संदर्भित हो गए हैं बलपूर्वक भिगोया जा रहा हूं।। कहीं खोया जा रहा हूं आंधियों की रंगत ही काली है खुशियों में हर रात दिवाली है दर्द खरीद लूं किसी अपने कि या खुशियां बेच दूं जीने कि सोचता हूं पर ये बाजारू नहीं हैं।। अजीब गहराई में समाया जा रहा हूं कहीं खोया जा रहा हूं।। घूम लेता हूं दुःखी होने पर खुशी ठहरती नहीं पास मेरे कुछ पल के लिए बदल जाता हूं स्थाई कुछ भी नहीं साथ मेरे अनचाहे सपनों में सोया जा रहा हूं कहीं खोया जा रहा हूं।। कहते हैं जो सपने जागकर देखना पर जिम्मेदारी दूसरों के सपनों की सीढ़ी वाली मिली, जहां व्यक्तिगत कुछ करना मना है दो वक्त कि रोटी ने कहा है जरूरतें देखो, शौख करना मना है कैसी कश्मकश में डुबोया जा रहा हूं कहीं खोया जा रहा हूं।। ~Aakash Dwivedi ✍️ ©Aakash Dwivedi #शायरी #SAD #Love #Like #AakashDwivedi #Shayari #Thoughts #Quote #कविता