a-person-standing-on-a-beach-at-sunset जीवन है अनबूझ पहेली, जिसका आर न पार। श्वास संग है आते-जाते, सुख-दुख बारम्बार।। जीवन है अनबूझ पहेली,जिसका ओर न छोर। पता नहीं कब हो अंधेरा,कब हो सुन्दर भोर।। जीवन है अनबूझ पहेली, घोड़े सी है चाल। दौड़े कभी ये मीलों दूर,सोये कभी निढाल।। जीवन है अनबूझ पहेली, जन्म-मरण का फेर। कैसे कब क्या क्या है करना, प्रश्नों का है ढेर।। स्वरचित -निलम अग्रवाला खड़गपुर ©Nilam Agarwalla #जिंदगी_एक_पहेली