कि दिल की बड़ी हसरतों वाली फ़रमाइश ना थी हमें, उनसे दग़ा की कभी लगी गुंजाइश ना थी उल्फ़त हो और आज़माइश ना हो मुमकिन नहीं ज़िंदगी है,जनाब ! फ़क़त ख़्वाबों की आराइश ना थी Urdu_Word_Collab_Challenge_ Collab करें मेरे साथ 👉 Urdu_Hindi Poetry आज का लफ्ज़ है "दग़ा" अब पहले की तरह एक विजेता नहीं बल्कि 3 विजेता चुना जाएगा,, जो सबसे पहला विजेता होगा उनको testimonial किया जाएगा ! और दूसरे और तीसरे नंबर वाले विजेता को 'हाइलाइट' किया जाएगा। Example: