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अल्फाज़ लफ्ज़ मेरी पहचान बने तो बेहतर है, चेहरे क

अल्फाज़ 
लफ्ज़ मेरी पहचान बने तो बेहतर है, चेहरे का क्या वो तो साथ चला जाएगा। 
कैसे हो पायेगी अच्छे इंसान की पहचान, जब दोनों ही नकली हो गए हैं आँसू और मुस्कान। ।
जान पहचान बनाने से कुछ मिलता नहीं, तूफ़ान कितना भी तेज हो पहाड़ हिलता नहीं। 
अजनबी बने रहने में सुकून हैं, ये जान पहचान जान ले लेती हैं। ।

©PITARA SHAYARI KA
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