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घर में अपने कभी कभी खिचड़ी पकाते हैं ना जाने रिश्त

घर में अपने कभी कभी खिचड़ी पकाते हैं
ना जाने रिश्तों को तोड़ने के लिए झूठ मक्कारी करते जाते हैं
छोटी छोटी बातों पर कान भर मन में ज़हर घोलते हैं
पर जो सच्चे अच्छे होते रिश्तों की मर्यादा बरकार रख
अच्छा व्यवहार रख मीठा वाणी बोल ऐसे लोगों से दूर रहते हैं
— % & ♥️ आइए लिखते हैं #मुहावरेवालीरचना_413

👉 खिचड़ी पकाना मुहावरे का अर्थ - गुप्त रूप से षड्यंत्र रचना।

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घर में अपने कभी कभी खिचड़ी पकाते हैं
ना जाने रिश्तों को तोड़ने के लिए झूठ मक्कारी करते जाते हैं
छोटी छोटी बातों पर कान भर मन में ज़हर घोलते हैं
पर जो सच्चे अच्छे होते रिश्तों की मर्यादा बरकार रख
अच्छा व्यवहार रख मीठा वाणी बोल ऐसे लोगों से दूर रहते हैं
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