☺️नमन काव्योदय😊विषय-चिंतनीय विषय💐💐💐 #खुशी की बात है कि हम डिजिटल हो रहे हैं, पर फसल वही काटेंगे जो बीज बो रहे हैं। #पता नहीं हम भारतीय पकते(परिपक्वता)क्यों नहीं हैं, सात सौ साल गुलाम रहे फिर भी थकते क्यों नहीं हैं। #गोरों से आज़ादी मिली तो कालों ने छीन ली, कुछ अंग्रेज़ी प्यादों ने तो कुछ अंग्रेज़ी ख्यालों ने छीन ली। #कुछ हमारी गरीबी कुछ रोटी के निवालों ने छीन ली, कुछ नमक हरामों ने तो कुछ शातिर दिमाग वालों ने- छीन ली। #कल गुलामी प्रत्यक्ष थी आज अप्रत्यक्ष है, कल भी गुलामी सच्च थी आज भी एक सच्च है। ©shivaji kushwaha