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माना हम अनाड़ी थे मोहब्बत के खेल में पर इश्क की म

माना हम अनाड़ी थे मोहब्बत के खेल में 
पर इश्क की मंज़िल का तुझे हर राह पता था,
कुछ मजबूरियां बन गईं थीं पांव की बेड़ियां
पर भुला दोगे तुम भी हमें ये ना पता था..

©Balwinder Pal
  #मजबूरियां