एक शाम थी ढली, रोशन थी गली... एक शाम थी ढली, रोशन थी गली, रात को बढ़ते जाना था, चाँद को फिरसे आना था, पर अमावस की वो रात थी, कुछ अधूरी बात थी, चाँद ने ना देखा वो, आँख छुपाए बैठा जो, प्यार क्या मेरा खो गया, या चाँद की बाहों में सो गया? #nojoto #nojotochallenge #nojotodaily #nojotohindi #kavishala #wod