ख़ामोशियों के दरमियांँ दर्द का कारवां रह गया, कितनी अनकही बातें थी हमसफर बेजुबां रह गया, होती प्यार की बातें जाहिर हमारा यह अरमां रह गया, अहसासात का असल शादमाँ है वो किसी को कह गया, बातों बातों में रख्त-ए-हयात, वो ज़िक्र किसी का कह गया, देख महबूब की खुशी, मैं रिसते ज़ख्मों का दर्द सह गया, पाकिज़ी जिसके नाम की वो किसी और को राज़दां कह गया, लुत्फ़ ए कलाम था जो मेरा , वो जाते-जाते हमें बेज़ुबां कह गया। Sublime Inscriptions brings you Weekly challenge 🖤 WCSI009 🖤 #SI_ख़ामोशियों_के_दरमियाँ [In-between the silence] Collab open for all. सहभागिता सबके लिए खुली है। Maintain aesthetics. शब्दों की मर्यादा का ध्यान अवश्य रखें ।