White «...नया साल और मैं...» नया साल आया, पर मेरे लिए क्या नया है, हर दिन की तरह बस एक और साया है। खुशियों के दिखावे, झूठी हंसी के मेले, पर दिल में छुपे हैं दर्द के रेले। काश, नया साल रिश्तों को सच्चा कर जाता, झूठ, फरेब को कहीं दूर भगा जाता। पर यहां बदलते हैं बस कैलेंडर के पन्ने, लोग वही रहते हैं, दिल के सन्ने। वो जो टूटे थे, आज भी जुड़े नहीं, जिनसे उम्मीद थी, वो अब खड़े नहीं। हर खुशी दिखती है बस एक फरेब, जिंदगी के पन्नों में बचा है बस एक ढेर। कहते हैं, नया साल नई शुरुआत है, पर मेरे लिए यह वही पुरानी बात है। हर साल दिल से बस एक दुआ निकलती है, काश, इंसानियत भी किसी तारीख पर बदलती है। «...... तुम्हारा दर्दभरा हमसफ़र......» ©Ak.writer_2.0 #Sad_Status #sad2025 {** श्री....,, **} Sircastic Saurabh