दिल मे इक लहर सी उठी है अभी कोई ताज़ा हवा चली है अभी "बातें उल्फत की भूले तुम कैसे इक यही बात रुक गयी है कहीं" दिल मे इक लहर .... कोई ताज़ा हवा ... "इक मुसाफिर की याद न आई कैसी फितरत ये हो गयी है तेरी" कोई ताज़ा हवा ... दिल मे इक लहर ... "तुझसा देखा जो किसी को हमने हर इक सूरत में दिख रही है तूं ही" कोई ताज़ा हवा ... दिल मे इक लहर ... "इश्क ए किस्मत की स्याही है सूखी इक गलतफहमी ही बन गयी ज़िन्दगी" कोई ताज़ा हवा ... दिल मे इक लहर ... "नजाने कौन सा मोड़ कब होगा जब अचानक ही मिलेगी तू खड़ी" रूह की हर मुराद होगी पूरी दिल मे इक लहर ... लोकेशव हर मुराद होगी पूरी खहमखाह ही न जलेगी ज़िन्दगी मन मे शीतलता छाएगी बस यूं ही कोई ताज़ा हवा ...