मैं भी "बेटी" हूं चुटकी भर सिंदूर से ना जाने कितने रिश्तें जुड़ गए पत्नी, बहु, भाभी, चाची और, और अब तो मैं "माँ" भी हूं कभी हँसकर कभी रोकर निभा लेती हूं जिम्मेदारियों-का पहाड़ भी मैं मर्यादा हूं दोनों कुलों की संभलकर चलती हूं दर्द सहने की, परेशानियों से लड़ने की क्षमता भी रखती हूं ऐसा नहीं है कि मैं दुःखी हूं परंतु, ग़लत को ग़लत कहने का दम भी रखती हूं किसी के लिए अच्छी तो किसी के लिए बुरी हूं मैं स्वाभिमानी हूं क्योंकि, मैं आज की "बेटी" हूं। (२२ सितंबर, २०१९)©️ मीनाक्षी शुक्ला ©Shabdveni #umeedein #shabdveni #meenakshi_shukla #happydaughtersday