【(¶★★■◆●ग़ज़ल●◆■★★¶)】 मेरी आहों में असर है कि नहीं देख तो लूँ.... उसको कुछ मेरी ख़बर है कि नहीं देख तो लूँ.... वो जो था बाइस-ए-तस्कीन-ए-हिज्र कभी अब हुई दीदा-ए-तार है कि नहीं देख तो लूँ.... वो तो आ जाएंगे सर-तापा तजल्ली बनकर ताब-ए-नज़ारा मगर है कि नहीं देख तो लूँ..... शाम-ए-ग़म रोज़-ए-अज़ल से राही हमराह मेरे मेरे ग़म की भी सहर है कि नहीं देख तो लूँ.... मेरी आहों में असर है कि नहीं देख तो लूँ -----unknown या Abdul Hameed "Hosh" *आहों - sigh, *असर - sign, *बाइस-ए-तस्कीन-ए-हिज्र - Cause for peace of the sorrow of separation, *दीद - eyesight, *तार - fresh, *सर तापा - causing pain to the head?, *तजल्ली- scene, *ताब - courage/agreeable, *नज़ारा - sight/view, *अज़ल - eternity/supreme, *सहर - dawn/morning. #ग़ज़ल #midnightpoems #yourquotedidi #yqdidi #yourquotebaba #yourquotedidihindi #yourqoutedost #replytosomeone