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उसने अंतिम संस्कार की सारी क्रियाविधि पूर्ण की और

उसने अंतिम संस्कार की सारी क्रियाविधि पूर्ण की और शहर छोड़कर जाने लगा।

तभी एक आदमी ने पीछे से उसे पुकारा और पास आकर कहा,

“अब तुम बिना सहारे के अकेले कैसे चल पाओगे?

इतने साल तो तुम्हारी पत्नि तुम्हारी मदद किया करती थी।

पति ने जवाब दिया, दोस्त! मैं अंधा नहीं हूँ! मैं बस अंधा होने का नाटक कर रहा था।

क्योंकि यदि मेरी पत्नि को पता चल जाता कि मैं उसकी बदसूरती देख सकता हूँ, तो यह उसे उसके रोग से ज्यादा दर्द देता।

इसलिए मैंने इतने साल अंधे होने का दिखावा किया।

वह बहुत अच्छी पत्नि थी। मैं बस उसे खुश रखना चाहता था।


सीख:- खुश रहने के लिए हमें भी एक दूसरे की कमियो के प्रति आखे बंद कर लेनी चाहिए..
और उन कमियो को नजरन्दाज कर देना चाहिए...।

©priyaranjan and sutika ak sachcha sathi..part 3

#Light
उसने अंतिम संस्कार की सारी क्रियाविधि पूर्ण की और शहर छोड़कर जाने लगा।

तभी एक आदमी ने पीछे से उसे पुकारा और पास आकर कहा,

“अब तुम बिना सहारे के अकेले कैसे चल पाओगे?

इतने साल तो तुम्हारी पत्नि तुम्हारी मदद किया करती थी।

पति ने जवाब दिया, दोस्त! मैं अंधा नहीं हूँ! मैं बस अंधा होने का नाटक कर रहा था।

क्योंकि यदि मेरी पत्नि को पता चल जाता कि मैं उसकी बदसूरती देख सकता हूँ, तो यह उसे उसके रोग से ज्यादा दर्द देता।

इसलिए मैंने इतने साल अंधे होने का दिखावा किया।

वह बहुत अच्छी पत्नि थी। मैं बस उसे खुश रखना चाहता था।


सीख:- खुश रहने के लिए हमें भी एक दूसरे की कमियो के प्रति आखे बंद कर लेनी चाहिए..
और उन कमियो को नजरन्दाज कर देना चाहिए...।

©priyaranjan and sutika ak sachcha sathi..part 3

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