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खेल दिवस पर विशेष खेल में नहीं होता हैं कोई हिन्द

खेल दिवस पर विशेष

खेल में नहीं होता हैं कोई हिन्दू मुसलमान
खेल में नहीं होता है ऊँचा, नीचा, महान
खेल हैं सद्भावना मिल जाता हैं जिसमें सभी
खेल में बन जाता हैं इंसान बस इंसान

खेलनें वालों ने दुनियाँ एक कर दी खेलकर
खेल में रख दिया मन का गांठ खोलकर
मिटा दिया नफ़रत, बुराई, इंसान के दिमाग से
खेल ख़ुदा सा कर दिया संसार को सब एककर

भय, दुःख, शोक का खेल ही उपचार हैं
काम, क्रोध, रोग का खेल ही निदान हैं
मोक्ष, मुक्ति का ज़गह खेल का मैदान हैं
स्वस्थ तन, मन का खेल ही परिणाम हैं

नही जीत हार ज़िंदगी खेल ने बता दिया
मिलकर गलें एक दूसरे से बाद में दिखा दिया
मैदान यदि संसार सब खेल का हो जाये तो
प्रेम एक मिलन की गंगा खेल ने बहा दिया ।

©बिमल तिवारी “आत्मबोध” #game 
#खेलदिवस

#bike
खेल दिवस पर विशेष

खेल में नहीं होता हैं कोई हिन्दू मुसलमान
खेल में नहीं होता है ऊँचा, नीचा, महान
खेल हैं सद्भावना मिल जाता हैं जिसमें सभी
खेल में बन जाता हैं इंसान बस इंसान

खेलनें वालों ने दुनियाँ एक कर दी खेलकर
खेल में रख दिया मन का गांठ खोलकर
मिटा दिया नफ़रत, बुराई, इंसान के दिमाग से
खेल ख़ुदा सा कर दिया संसार को सब एककर

भय, दुःख, शोक का खेल ही उपचार हैं
काम, क्रोध, रोग का खेल ही निदान हैं
मोक्ष, मुक्ति का ज़गह खेल का मैदान हैं
स्वस्थ तन, मन का खेल ही परिणाम हैं

नही जीत हार ज़िंदगी खेल ने बता दिया
मिलकर गलें एक दूसरे से बाद में दिखा दिया
मैदान यदि संसार सब खेल का हो जाये तो
प्रेम एक मिलन की गंगा खेल ने बहा दिया ।

©बिमल तिवारी “आत्मबोध” #game 
#खेलदिवस

#bike