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भयहारिणी भवतारिणी माता, तेरे खेल निराले! तेरे ह



भयहारिणी भवतारिणी माता,
तेरे खेल निराले!

तेरे ही चरणों को पूजें,
भक्त तेरे मतवाले!

मन में श्रद्धा खाली झोली,
जो दर तेरे आये!

मन की मुरादें पूरी करती,
धन धान्य से घर भर डाले!

कालरात्रि तुम चामुंडा भी,
दुर्गा तुम महा गौरी!

कभी करे मां सिंह सवारी,
कभी गर्जना भारी!

©Dr. sanyogita Sharma
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