राख का ज्वाला से पहले क्या क्या रूप रहा होगा कभी राह पर चलती फिरती कभी राख यह मौन सुधि में कभी राख में ठन्डा पानी कभी राख जलती क्षण में शिव के तन से लिपट राख ने क्या क्या कष्ट कहा होगा राख का ज्वाला से पहले क्या क्या रूप रहा होगा राख का ज्वाला से पहले क्या क्या रूप रहा होगा कभी राह पर चलती फिरती कभी राख यह मौन सुधि में कभी राख में ठन्डा पानी कभी राख जलती क्षण में शिव के तन से लिपट राख ने क्या क्या कष्ट कहा होगा