छत पर आकर अब कभी वो जुल्फें नहीं खुलती सो फिजायें वहाँ की अब रूह मे नही घुलती सुना कि जबसे छोड़ा शहरे - मोहब्बत मैंने दूसरे माले वाली वो खिड़की नहीं खुलती कुँवर अरुण Poet&writer lyricits shayar #react #dearzindgi #Nojoto #poetsofindia #thoughts#igwriterclub #Nojotonews #NojotoApp