हर जख्म की मेरे मरहम बन गए हो तुम, जो सोचा नहीं था, वो सुकून बन गए हो तुम, बात तो बातो से शुरू हुई थी, आज जीने की वज़ह बन गए हो तुम, जिसे छोड़ कर भी न छोड़ पाऊं, वो आदत बन गए हो तुम। ♥️ Challenge-896 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें। ♥️ अन्य नियम एवं निर्देशों के लिए पिन पोस्ट 📌 पढ़ें।