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ठहर जाओ एक पल को और ये रात तो निकल जाने दो। थोड़ा

ठहर जाओ एक पल को और 
ये रात तो निकल जाने दो।
थोड़ा थामने दो बाहों को 
थोड़ा मुझको संभल जाने दो।।
सांसो के इस ड़ोर को कब तक  खींचू अकेले मेरी रूह को खुद में बसर करने दो #unexpected page of my diary
ठहर जाओ एक पल को और 
ये रात तो निकल जाने दो।
थोड़ा थामने दो बाहों को 
थोड़ा मुझको संभल जाने दो।।
सांसो के इस ड़ोर को कब तक  खींचू अकेले मेरी रूह को खुद में बसर करने दो #unexpected page of my diary

#Unexpected page of my diary