बेचैन मन में उठते सवालों का जवाब हो तुम। आँखों में बसा नायाब एक ख़्वाब हो तुम। एक तस्वीर इन आँखों में जैसे छप चुकी है, बंजर सी ज़मीं में खिला एक गुलाब हो तुम। कैसी ये कशिश है कैसा ये सुरूर छाया है, सबा बिखेरती हुई नूर-ए-महताब हो तुम। महफ़िल की शान बन गए तेरे तसव्वुर से, कोई ग़ज़ल जैसे एक लाजवाब हो तुम। लोग कहते हैं निशि इश्क़ में दिवानी बन गई, मन से ना कभी उतर पाए वो ख़्याल हो तुम। क्या कोई समझ पाए मेरे इश्क़ की पहचान, हक़ीक़त कहाँ..... बस एक ख़्वाब हो तुम। क्या कोई समझ पाए मेरे इश्क की पहचान, हक़ीक़त कहाँ..... बस एक ख़्वाब हो तुम। ♥️ मुख्य प्रतियोगिता-1002 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें! 😊 ♥️ दो विजेता होंगे और दोनों विजेताओं की रचनाओं को रोज़ बुके (Rose Bouquet) उपहार स्वरूप दिया जाएगा।