मैंने "मैं" को श्मशान में ख़ाक होते देखा है... मैंने मैं को श्मशान में राख होते देखा है। मैंने अहं को जमीं में ख़ाक होते देखा है।। तुमसे पहले भी था शहंशाह कोई यहां, मैंने सिकंदर को ख़ाक होते देखा है। दिल में शोले दबाएं सब चलते है यहां, मैंने पल में शोलो को आग होते देखा है।