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कुछ नहीं हो जो, तो कोई नहीं मिलता आस-पास, हर क़दम

कुछ नहीं हो जो, तो कोई नहीं मिलता आस-पास,
हर क़दम पर किसी ग़लती की तुमसे रहती आस।

यूँ तो ग़लतियाँ कर के ही  कुछ नया सीखा जाता,
फिर भी नीचा दिखाने को बढ़ती लोगों की प्यास।

कभी धकेलती पीछे  तो कभी आगे  यह बढ़ाती है,
ग़लती ही ग़लती का फिर दिला जाती है एहसास।

ग़लती से ही तो ज़िन्दगी  कई बार सुधरा करती है,
ग़लती की गहराइयों में मिला करता है कुछ ख़ास।

गिरने के बाद ही अक्सर  संभलकर चला करते हैं,
मिल ही जाती है मंज़िल जब ख़ुद पर हो विश्वास।  Rest Zone 'ग़लती'

#restzone #rztask118 #rzलेखकसमूह #sangeetapatidar #ehsaasdilsedilkibaat #rzwotm #rzsangeetadhun #poetry
कुछ नहीं हो जो, तो कोई नहीं मिलता आस-पास,
हर क़दम पर किसी ग़लती की तुमसे रहती आस।

यूँ तो ग़लतियाँ कर के ही  कुछ नया सीखा जाता,
फिर भी नीचा दिखाने को बढ़ती लोगों की प्यास।

कभी धकेलती पीछे  तो कभी आगे  यह बढ़ाती है,
ग़लती ही ग़लती का फिर दिला जाती है एहसास।

ग़लती से ही तो ज़िन्दगी  कई बार सुधरा करती है,
ग़लती की गहराइयों में मिला करता है कुछ ख़ास।

गिरने के बाद ही अक्सर  संभलकर चला करते हैं,
मिल ही जाती है मंज़िल जब ख़ुद पर हो विश्वास।  Rest Zone 'ग़लती'

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