मेरे देश की धरती तन मन हरती है भावों से भरती मेरे देश की धरती भव्य हिमालय की शोभा है देश का पहरेदार है वह नीति के वचनों से लिखा जो भागवत गीता का सार है वह रीति रिवाज और परंपरा संस्कृति की रखवाली है भाई चारा बढ़ाती है जो होली और दिवाली है ऋषि मुनियों की तपो भूमि है गंगा की रसधार यहां मोक्ष दायिनी सप्तपुरी है श्री बद्री केदार यहां। ©Dr Meena Negi मेरा देश