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मेरे देश की धरती तन मन हरती है भावों से भरती मेरे

मेरे देश की धरती
तन मन हरती
है भावों से भरती
मेरे देश की धरती

भव्य हिमालय की शोभा है
देश का पहरेदार है वह
नीति के वचनों से लिखा जो
भागवत गीता का सार है वह

रीति रिवाज और परंपरा
संस्कृति की रखवाली है

भाई चारा बढ़ाती है जो
होली और दिवाली है
ऋषि मुनियों की तपो भूमि है 
गंगा की रसधार यहां
मोक्ष दायिनी सप्तपुरी है
श्री बद्री केदार यहां।

©Dr Meena Negi मेरा देश
मेरे देश की धरती
तन मन हरती
है भावों से भरती
मेरे देश की धरती

भव्य हिमालय की शोभा है
देश का पहरेदार है वह
नीति के वचनों से लिखा जो
भागवत गीता का सार है वह

रीति रिवाज और परंपरा
संस्कृति की रखवाली है

भाई चारा बढ़ाती है जो
होली और दिवाली है
ऋषि मुनियों की तपो भूमि है 
गंगा की रसधार यहां
मोक्ष दायिनी सप्तपुरी है
श्री बद्री केदार यहां।

©Dr Meena Negi मेरा देश

मेरा देश #कविता