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सभी खोए खुद में हैं देखो यहां पर, फिकर ही नहीं को


सभी खोए खुद में हैं देखो यहां पर,
फिकर ही नहीं कोई तेरी यहां पर।

अपने लिए जीना सीखा है ऐसा,
 के नेकी है भुला वो आ के यहां पर।

हर रिश्ते नाते धूमिल हो रहे हैं,
दौलत के पीछे पड़े सब यहां पर।

जरा बैठ दुख दर्द बांटें किसी का,
किसी को भी फुरसत नहीं है यहां पर।

©नागेंद्र किशोर सिंह
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