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दुनिया का आधार है, ये वैभव की खान।। बेटी घर की आबर

दुनिया का आधार है,
ये वैभव की खान।।
बेटी घर की आबरू,
मत करिए अपमान।।
मत करिए अपमान,
पालिए सुत के जैसे।।
शिक्षा और अधिकार,
दीजिए पुत्र के जैसे।।
‘सनम’ खिलेगी सुनो,
सदा फिर घर की बगिया।। 
सुता करेगी नाम,
झुकेगी सारी दुनिया।।

©Shashank मणि Yadava "सनम"
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