रोज़ रोज़ मिटते है, फिर भी ख़ाक न हुए रोज़ रोज़ मिटते हैं तेरे इश्क़ में ,,अज़ीय्यत दिल से कम ना हुए चाक ज़िगर के तूने देखे नहीं, फिर भी रश्क में हम खाक ना हुए #Mativation#2Liners#Roz_Roz_Mitte_Hai अज़ीय्यत = पीड़ा चाक = फटा हुआ रश्क = ईर्ष्या