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"क्या करूँगा मैं जाकर मयकदा,

"क्या करूँगा मैं जाकर मयकदा,
                             अली
मुझे तो तलब-ए-मयकशी फ़क़त नज़र-ए-यार की है!!!!" सूफियाना
"क्या करूँगा मैं जाकर मयकदा,
                             अली
मुझे तो तलब-ए-मयकशी फ़क़त नज़र-ए-यार की है!!!!" सूफियाना

सूफियाना