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इक बार हमारे साथ राही बनकर तो चलो कान्हा तुम्हारे

इक बार हमारे साथ राही बनकर तो चलो कान्हा 
तुम्हारे लिए हमने पूरा रास्ता ही फूलों से सजाया है। 
 साये से मोहब्बत करना अर्थार्त खुद को समर्पित कर देना ।
एक ऐसी ही अनसुलझी पहेली राधा जी की कन्हिया जी के प्रति और कनन्हिया जी की राधा जी के प्रति थी।
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इक बार हमारे साथ राही बनकर तो चलो कान्हा 
तुम्हारे लिए हमने पूरा रास्ता ही फूलों से सजाया है। 
 साये से मोहब्बत करना अर्थार्त खुद को समर्पित कर देना ।
एक ऐसी ही अनसुलझी पहेली राधा जी की कन्हिया जी के प्रति और कनन्हिया जी की राधा जी के प्रति थी।
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