इक बार हमारे साथ राही बनकर तो चलो कान्हा तुम्हारे लिए हमने पूरा रास्ता ही फूलों से सजाया है। साये से मोहब्बत करना अर्थार्त खुद को समर्पित कर देना । एक ऐसी ही अनसुलझी पहेली राधा जी की कन्हिया जी के प्रति और कनन्हिया जी की राधा जी के प्रति थी। ● ● ● ● ● ●