*रिमझिम बारिश के मौसम में* केवल आनंद शर्मा "मीत" ----------------------------------------- मिट जाती है धरती की तपन, रिमझिम बारिश के मौसम में। ठंडक में बदल जाती है जलन, रिमझिम बारिश के मौसम में। मैं देखता हूँ जब बच्चों को, बेफिक्र नहाते बारिश में, मचल मचल जाता है मन, रिमझिम बारिश के मौसम में। मैं भी उन संग हो लेता हूँ, तो ऐसा लगता है मुझको, फिर लौट आया मेरा बचपन, रिमझिम बारिश के मौसम में। बारिश की फुहारें होले से जब, तन पर मेरे दस्तक देती है, तो झूम झूम जाता है बदन, रिमझिम बारिश के मौसम में। कितनी मनभावन लगती है, मिट्टी की महक इस मौसम में, माथे पर लगा लूँ ये चंदन, रिमझिम बारिश के मौसम में। जम जम कर बरसो रे मेघा, ये तुमसे गुजारिश है मेरी, मिट जाए मेरे दिल की चुभन, रिमझिम बारिश के मौसम में। इस भीगे भीगे मौसम में फिर, मीत मैं मेघ मल्हार सुनूँ, सुर में ढल जाएगी गर्जन, रिमझिम बारिश के मौसम में। रिमझिम बारिश के मौसम में