गर उनसे ये रिश्ता निभाया न जाए, जबरदस्ती का इल्जाम लगाया न जाए, हो गया है फैसला अब मोहब्बत का किसी काजी को घर पर बुलाया न जाए, दिल, जान , रूह सब तो दे दिया उसको बात "ईमान" की है,ये लुटाया ना जाए, झुकना उसी के सामने जिसको कद्र है तेरी अपने साजदे किसी पर यो, जाया ना जाए गर उनसे ये रिश्ता निभाया न जाए, जबरदस्ती का इल्जाम लगाया न जाए, हो गया है फैसला अब मोहब्बत का किसी काजी को घर पर बुलाया न जाए, दिल, जान , रूह सब तो दे दिया उसको बात "ईमान" की है,ये लुटाया ना जाए,