ये तेरे प्यार का असर है, जो मुश्क़िलें हुई बेअसर हैं। हुआ कुछ ऐसा, दफ़्नाई गई पत्तियाँ भी हुई शजर हैं। एक पल का नहीं भरोसा, जो भी पल है, वो यही है, आज में जीने की कोशिशों से पल-पल हुई सहर है। जाने कब, क्या हो जाये और कोई छोड़ दे साथ भी, आँसुओं से ज़्यादा, उसकी हँसी से ही हुई निखर है। हर कोई तन्हा यहाँ दूर तक कोई साथ चल न सका, मन में बसी अपनों की दुनिया से, फिर हुई गुज़र है। कमज़ोरी नहीं 'धुन', तेरे हौसले की मज़बूत डोर है, संग रहूँ न रहूँ, बंधन में बँधकर उम्मीदें हुईं निडर हैं। ♥️ Challenge-537 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ विषय को अपने शब्दों से सजाइए। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।