इज़हार दिल था खाली खाली कोई करीब न था , सहूलियत ये थी की कोई रकीब न था l आज बहुत है मेरे जानने पहचानने वाले , यकीनन मुफलिसी में कोई हबीब न था l मेरे दिल का सिर्फ अन्दाजा लगाता रहा , दिल की पैमाइशी का कोई जरीब न था l लिखता रहा हरफ हरफ उनके यादों के , आँसू थे सबके सब कोई अकिब न था l बाँट कर पी लेते हम नयनो के नीर को , ऐसा हमारा तुम्हारा कोई नसीब न था l मिटा गए हमको तुमको ये जमाने वाले , मिटा दे मुहब्बत ऐसा कोई सलीब न था l ©🎡🍑WRITER'S CHOICE🍑🎡 #dilkibaat Prachi Mishra //sweta_dankhara_11// Cute writer 007