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दो होकर भी उन्होंनें सम्भाला तुमको, तुम चार होकर भ

दो होकर भी उन्होंनें सम्भाला तुमको,
तुम चार होकर भी उन्हें ना सम्भाल सके,
जिन्होंनें पूरी की तुम्हारी हर जरूरतों को,
तुम दो वक्त की रोटी भी उन्हें ना खिला सके,
 उंगली पकड़ चलना सिखाया तुमको,
तुम उनके सहारे को अपना हाथ भी ना थमा सके,
हर कदम पर साथ दिया तुम्हारा उन्होंनें,
तुम बुढ़ापे में उन्हें अपने पास भी ना बिठा सके,
हर फर्जं प्यार से निभाया उन्होंने,
तुम अपना कर्त्वय भी ना निभा सके,
माँ-बाबा क्यों रूलाते हो तुम,
जब तुम उन्हें ना हँसा सके,
बच्चपन को तुम क्या अपने भूल गये हो,
जब माँ तुम्हें अपनी गोद में सुलाती थी,
बाबा के कन्धे पर बैठ जब पूरे गाँव की सैर हो जाती थी,
तेरे रोने पर माँ भी रो देती थी,
तेरे जिद़ पर बाबा तेरी हर मांग पूरी कर देते थे,
क्यों तुम इतने बड़े हो गये हो,
जो अपने माँ-बाबा को भूल गये हो।

insta id |@chand_ki_kalam

©Chandani pathak #oldparents #PARENTS #Truth
दो होकर भी उन्होंनें सम्भाला तुमको,
तुम चार होकर भी उन्हें ना सम्भाल सके,
जिन्होंनें पूरी की तुम्हारी हर जरूरतों को,
तुम दो वक्त की रोटी भी उन्हें ना खिला सके,
 उंगली पकड़ चलना सिखाया तुमको,
तुम उनके सहारे को अपना हाथ भी ना थमा सके,
हर कदम पर साथ दिया तुम्हारा उन्होंनें,
तुम बुढ़ापे में उन्हें अपने पास भी ना बिठा सके,
हर फर्जं प्यार से निभाया उन्होंने,
तुम अपना कर्त्वय भी ना निभा सके,
माँ-बाबा क्यों रूलाते हो तुम,
जब तुम उन्हें ना हँसा सके,
बच्चपन को तुम क्या अपने भूल गये हो,
जब माँ तुम्हें अपनी गोद में सुलाती थी,
बाबा के कन्धे पर बैठ जब पूरे गाँव की सैर हो जाती थी,
तेरे रोने पर माँ भी रो देती थी,
तेरे जिद़ पर बाबा तेरी हर मांग पूरी कर देते थे,
क्यों तुम इतने बड़े हो गये हो,
जो अपने माँ-बाबा को भूल गये हो।

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©Chandani pathak #oldparents #PARENTS #Truth