मेहफिल मे आज फिर तेरा नाम आया हस दिया उनकी ताली पे ओर फिर रो आया सन्नाटो की जगह से गुजर आया फिर आसुओ की बारी वही छोड आया सही वक्त चुनकर मे फिर लौट आउंगा तेरी कसम मे मरकर घर आउगा तु भुलादे जहा से मे हर जखम याद आउंगा लिखुगा हर किताब मे तेरा नाम पर नजर मे आउंगा तुटकर जो चूर हो गया दिल तुम्हे तो पता हे मे आउगा सुरज बनकर तुम्हे तो पता हे ना रस्ते मे कांटे जितने आये मुरझा गये , तुझसे इश्क का पुराना हिसाब बाकी हे पता हे ना #युगेंद्र अशोक काकडे. ©Yugendra Kakade #blindLove