वोह कागज़ की कश्ती का सफर लंबा नही होता फिर भी कितनी यादें छोड़ जाता हैं.... बारिश मैं बहती हुई वो हवा भी सपनो को आईना दिखा जाती हैं।।। सुबह का वोह आलम पिछली रात की कहानी छोड़ जाता हैं तारो का वोही सफर आंखों की कहानी बंया कर जाता हैं।।। मालूम है वोही मंज़र-ए-रफ्तार की निशानियां पतझड़ मैं भी लहराती हैं सुकूँ के वोह दो पल अश्कों से गिरे वो लम्हो हो छुपा देते हैं।।। सफर तो यूँही चलता रहता हैं लिबासों की साझेदारी होती हैं.. धुंधली सी यादों के सहारे वोह किनारा भी मौजो को चूमता हैं।।। ©krishna biswas #Poetry #love💔 #memorieskills #night_thoughts #sagarkinare