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दूसरों की ज़िंदगी संवारने के लिए, अपनी ज़िंदगी की

दूसरों की ज़िंदगी संवारने के लिए,
अपनी ज़िंदगी की सूरत बिगाड़ ली हमनें,
किसी ने देखा ना मुड़के भी मुझे, 
कुछ यूं किया हमने कि आइने में सूरत निहार ली हमने,
हो गई रूबरू मैं खुद से ही,जैसी थी वैसी ही खुद स्वीकार ली मैंने
नज़रों ने मेरी नज़रे मिला कर कहा,
बता तुम्हारे सिवा तुम्हारा कौन है यहां,
तुम चले तो थे थाम कर हाथ अपनो का,
 कि इन्हीं में समाई है मेरी दुनियां,
ज़रा से क्या चूके कि सबने साथ छोड़ दिया,
पता ही तब चला कि अपनी ही दुनियां उजाड़ ली हमनें,
सूखे पत्तो की उड़ान और पतझड़ के मौसम जैसी हो गई ज़िंदगी,
लगा यूं कि जैसे कुछ दिनों के लिए बहार उधार ली हमने,
किसी ने देखा ना मुड़के भी मुझे,
कुछ यूं किया हमने कि आइने में सूरत निहार ली हमनें
दूसरों की ज़िंदगी संवारने के लिए,
अपनी ज़िंदगी की सूरत बिगाड़ ली हमनें,
किसी ने देखा ना मुड़के भी मुझे, 
कुछ यूं किया हमने कि आइने में सूरत निहार ली हमने,
हो गई रूबरू मैं खुद से ही,जैसी थी वैसी ही खुद स्वीकार ली मैंने
नज़रों ने मेरी नज़रे मिला कर कहा,
बता तुम्हारे सिवा तुम्हारा कौन है यहां,
तुम चले तो थे थाम कर हाथ अपनो का,
 कि इन्हीं में समाई है मेरी दुनियां,
ज़रा से क्या चूके कि सबने साथ छोड़ दिया,
पता ही तब चला कि अपनी ही दुनियां उजाड़ ली हमनें,
सूखे पत्तो की उड़ान और पतझड़ के मौसम जैसी हो गई ज़िंदगी,
लगा यूं कि जैसे कुछ दिनों के लिए बहार उधार ली हमने,
किसी ने देखा ना मुड़के भी मुझे,
कुछ यूं किया हमने कि आइने में सूरत निहार ली हमनें
neelamjangra9090

Neelam jangra

New Creator
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