"महंगाई" पेट्रोल-डीजल के भाव में तेज दौड़ने की कम्पीटीशन जो चल रही है सेंचुरी मारने की फिराक में दोनों के बीच भागमभाग जो चल रही है तेल का भाव है,कि छक्के पर छक्के लगाया जा रहा है धीरे-धीरे तेज बॉलिंग से जनता को क्लीन बोर्ड जो किये जा रहा है ऐसा लग रहा है जैसे ,गाड़ी की सवारी अब ,बीते दिनों की बात हो जाएगी गाड़ी का एक्सीलेटर छोड़ अब सायकल की पैडल पर आ जाएगी कोरोना की महामारी से ,अभी राहत मिली नहीं ऊपर से महंगाई है कि ,आहत पर आहत किये जा रही आम आदमी का जेब पहले से ही खाली है ऊपर से" मंहगाई "जो सब पर भारी है चावल आटे का भाव सीढ़ी दर सीढ़ी चढ़े जा रहा है खाने का तेल है कि,ऊपर से आंखें दिखाये जा रहा है दाल खाना धीरे-धीरे कम जो होने लगी है "मंहगाई "है कि सब पर भारी जो होने लगी है आम आदमी है कि, जैसे ठगा सा महसूस कर रहा है करे तो करे क्या बस अपनी किस्मत को कोसे जा रहा है| किशोर कुमार देशमुख दुर्ग छत्तीसगढ़ ©kishor kumar deshmukh महंगाई