साँझ सबेरे सुरज - चँदा, आकर हमें समझाए है अनोखी चाहत, हर वर्ष मेरी "व्याह" रचाए हूँ मैं तुलसी तेरे आँगन कि, क्यों "हमें" तड़पाए संस्कार के चाहत की दीए मेरे वृक्ष तले जलाए है घर वो धन्य धनवंती, जो "जल" नित्य चढ़ाए सुखियों कि चादर ओढ़े, धन दौलत-वैभव पाए किन आँखों से रोए, किन ओंठों से हम मुस्काए कटु शब्द अब ऐसे चुभते आत्मा छलनी हो जाए सांन्ता कि चाहत में लोग कंचन काया मत जलाए हर स्कुलों में "तुलसी की महिमा" जरूर बताए नन्हें -मुन्ने- बाल बृंद को नित्य तुलसी कथा सुनाए हलोउल्लास से घर -घर में। "तुलसी दिवस" मनाए लेखक:- प्रमोद मिश्र ©अनुषी का पिटारा.. #तुलसीविवाह #तुलसी_पूजन_दिवस #तुलसी_महिमा #अनुषी_का_पिटारा