क्यूं इन हवाओं में, वो आज भी महकती है, क्यूं इन घटाओं संग, वो आज भी बरसती है, क्यूं दरमियाँ रेत के, वो मुट्ठी से फिसलती है, क्यूं नम आंखों से, वो आज भी छलकती है,,, #nojoto#poem#love#feud#disapproval