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जब हम शायद 7 या 8 साल के थे तब की एक तस्वीर है हमा

जब हम शायद 7 या 8 साल के थे तब की एक तस्वीर है हमारी...... जिसमें हम लहंगे के ऊपर स्कूल का स्वेटर पहन के खड़े हैं। फुल मेकअप है चहरे पर, यह तस्वीर स्वेटर की वजह से फनी लगती है, वो भी स्कूल यूनिफार्म का स्वेटर।

यह तस्वीर किसी एनुअल फंक्शन की है जिसमें हमने डांस किया था।
दरअसल जब सब हमारे डांस को देख रहे थे, तब केवल एक शख्स हमारे डांस के ख़त्म होने का इन्तजार कर रहे थे, क्योंकि तब मौसम सर्दियों का था।
वो हैं पापाजी....

जब हम डांस करने के बाद स्टेज से उतरे तो पापाजी ने सबसे पहले स्वेटर पहनाया। तस्वीर भी खिंचने नहीं दी।
स्वेटर भी स्कूल यूनिफार्म का था, क्योंकि स्कूल यूनिफार्म में ही स्कूल जाना था और फिर वहाँ तैयार होने के वक़्त लहंगा पहनना था। उनको कुछ ना मिला तो यूनिफार्म का स्वेटर ही पहना दिया।
पिता के प्यार को शब्दों की ज़रूरत नहीं होती, आप गौर करिए तो हर चीज में प्यार है। हर काम हर बात में प्यार है। #रूपकीबातें
जब हम शायद 7 या 8 साल के थे तब की एक तस्वीर है हमारी...... जिसमें हम लहंगे के ऊपर स्कूल का स्वेटर पहन के खड़े हैं। फुल मेकअप है चहरे पर, यह तस्वीर स्वेटर की वजह से फनी लगती है, वो भी स्कूल यूनिफार्म का स्वेटर।

यह तस्वीर किसी एनुअल फंक्शन की है जिसमें हमने डांस किया था।
दरअसल जब सब हमारे डांस को देख रहे थे, तब केवल एक शख्स हमारे डांस के ख़त्म होने का इन्तजार कर रहे थे, क्योंकि तब मौसम सर्दियों का था।
वो हैं पापाजी....

जब हम डांस करने के बाद स्टेज से उतरे तो पापाजी ने सबसे पहले स्वेटर पहनाया। तस्वीर भी खिंचने नहीं दी।
स्वेटर भी स्कूल यूनिफार्म का था, क्योंकि स्कूल यूनिफार्म में ही स्कूल जाना था और फिर वहाँ तैयार होने के वक़्त लहंगा पहनना था। उनको कुछ ना मिला तो यूनिफार्म का स्वेटर ही पहना दिया।
पिता के प्यार को शब्दों की ज़रूरत नहीं होती, आप गौर करिए तो हर चीज में प्यार है। हर काम हर बात में प्यार है। #रूपकीबातें