शिकार पर वो जाता रहा ख़ुद पे ही निशाना लगाता रहा अत्यंत दुख़ में जी रहा वो चेहरे पर ख़ुशी झलकाता रहा मैखाने में उसको सुकूं मिले जाम भरने को अश्क बहाता रहा घबराता है ख़ुद को आइने में देख फक़्त आइना ही उसे सच दिखलाता रहा महफिल में उसकी पहचान न बनी ये दुख़ उसे भीतर से सताता रहा कितना हुनर है उसके पिटोरे में कलम के ज़रिए सबको बताता रहा #BtataRha #PoetInMe #ShayarInMe #KaviBhitar #Kalakaksh