क्या तुम्हे पता है, टूटते तारे टूट कर कहां जाते है होंगे? धुप रात मे कहां सोती होगी? क्या पंछीयो को भी अपने घर वालो की याद आती होंगी? नदी बहे कर समंदर से मिलती है, समंदर किससे मिलता होगा? क्या तुम्हे पता है टूटते तारे, तारे भी नहीं कहलाते... मिट्टी, मिट्टी गिरती है आसमान से बस, और मिट्टी से ही पेड़ उगते है, क्या तुम्हे पता है पेड़ो की जड़े जमीन से इतना कस कर क्यों लिपटती है? क्या उन्हें भी किसी के साथ होने का एहसास बहाता होगा? क्या इस लिए मै कस कर तेरी यादो को पकडे बैठा हूँ? की एक दिन उन पर भी फूल खिल आये... क्या तुम्हे पता है, पेड़ो पर आशिक अपना नाम क्यों लिख जाते है? साथ जीने मरने की कस्मे जब मर जाती होंगी, तो कहां जाकर सिसकियाँ लेती hogi? आदते भी कही छूट जाती होंगी, ऐसे मे कलमकार पेड़ो पर क्या लिख जाते होंगे? क्या तुम्हे पता है, उन पेड़ो पर यादे खिलतीं है..। kya tumhe pta hai? #yaade #samnder